बीती हुईं उन बातों से
काहे तू खुद को रुलाएं
बीती हुईं उन लम्हों से
काहे तू खुद को रुलाएं
बातें सीने पे हैं चुभी
काटें सीने पे हैं चुभी
वक़्त ने मरहम लगाये
उन्हें खोदे क्यूँ फिरसे
खुद को रुलाएं
हकीक़त की दुनिया में
सपने कांचो के
चुभे वो टूटने पर
दर्द होते सिने में
मतलब न लगे कुछ
दुनिया में जीने में
काहे उन्हें जोरने में लगो
हजारों तुक्रे जिनके बने हो
काहे याद करो जो कभी
कभी लौट ही न सकते हो
काहे तुम खुद से हो रूठे
काहे तुम खुद को रुलाये...
v nice !!! didn't kno u can write in hindi too.
ReplyDelete"Chalo Beeti Baaton Ko Bhulaya Jaaye
Rhuth Ke Nikli Zindagi Ko Manaya Jaaye "
wah wah wah wah...
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