Thursday, February 9, 2012

बीती बातें

बीती हुईं उन बातों से
काहे तू खुद को रुलाएं

बीती हुईं उन लम्हों से
काहे तू खुद को रुलाएं

बातें सीने पे हैं चुभी
काटें सीने पे हैं चुभी
वक़्त ने मरहम लगाये
उन्हें खोदे क्यूँ फिरसे
खुद को रुलाएं

हकीक़त की दुनिया में
सपने कांचो के
चुभे वो टूटने पर
दर्द होते सिने में
मतलब न लगे कुछ
दुनिया में जीने में

काहे उन्हें जोरने में लगो
हजारों तुक्रे जिनके बने हो
काहे याद करो जो कभी
कभी लौट ही न सकते हो

काहे तुम खुद से हो रूठे
काहे तुम खुद को रुलाये...

2 comments:

  1. v nice !!! didn't kno u can write in hindi too.

    "Chalo Beeti Baaton Ko Bhulaya Jaaye
    Rhuth Ke Nikli Zindagi Ko Manaya Jaaye "

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